मैं कुछ लिखू या न लिखू...मेरी याद हर जगह कायम है....मेरे हर लफ्ज़ की ताकत दुनिया मे सब को
वाकिफ है...छिपता है चाँद जब जब बादलों के उस झुरमुट मे,इंतज़ार फिर भी होता है उस के दीदार
का सब को बेसब्री से...कही कोई शमा जलती है अँधेरे के उस कोने मे..रोशन जहाँ बेशक न हो,पर
सुलगती है एक याद फिर भी चाहने वालो के सीने मे...
वाकिफ है...छिपता है चाँद जब जब बादलों के उस झुरमुट मे,इंतज़ार फिर भी होता है उस के दीदार
का सब को बेसब्री से...कही कोई शमा जलती है अँधेरे के उस कोने मे..रोशन जहाँ बेशक न हो,पर
सुलगती है एक याद फिर भी चाहने वालो के सीने मे...