न तुझ से पहले,न तेरे बाद...दिल के आशियाने मे एक घर है बस तेरे ही नाम.....हर दरवाजा,हर खिड़की
जब भी खुलती है,बस तेरे ही पाव की आहट से वो हवाएँ लेती है.....कभी बहुत सर्द है यह मौसम,तो कभी
झुलसती हुई तन्हाई है.....बंद कर दे यह घर,तो भी बाहर तेरी ही यादो के सख्त पहरे है.......रोशन जब
भी यह सुबह होती है,जुल्फों की खुली वादियो मे तेरे ही आने की खबर मिलती है...
जब भी खुलती है,बस तेरे ही पाव की आहट से वो हवाएँ लेती है.....कभी बहुत सर्द है यह मौसम,तो कभी
झुलसती हुई तन्हाई है.....बंद कर दे यह घर,तो भी बाहर तेरी ही यादो के सख्त पहरे है.......रोशन जब
भी यह सुबह होती है,जुल्फों की खुली वादियो मे तेरे ही आने की खबर मिलती है...