रूह मेे बसे दिलदार मेरेे..तेरी मुहबबत की इॅतिहा है कहा तक.....सितारो की दुनिया से
परे..आसमाॅॅ की हद से परे...जालिम जमाने की नजऱो से परे......कशिश मेरे हुसन की
तुझे मेरी तनहाई मे खीॅच लाए गी..टूटो गे जब रातो को,दीवागनी की हदो को भी पार
कर जाए गी...अललाह मेरे,पाक मुहबबत की तडप ही दो दिलो को जोड जाए गी......
परे..आसमाॅॅ की हद से परे...जालिम जमाने की नजऱो से परे......कशिश मेरे हुसन की
तुझे मेरी तनहाई मे खीॅच लाए गी..टूटो गे जब रातो को,दीवागनी की हदो को भी पार
कर जाए गी...अललाह मेरे,पाक मुहबबत की तडप ही दो दिलो को जोड जाए गी......