Friday, 15 April 2016

रूह मेे बसे दिलदार मेरेे..तेरी मुहबबत की इॅतिहा है कहा तक.....सितारो की दुनिया से

परे..आसमाॅॅ की हद से परे...जालिम जमाने की नजऱो से परे......कशिश मेरे हुसन की

तुझे मेरी तनहाई मे खीॅच लाए गी..टूटो गे जब रातो को,दीवागनी की हदो को भी पार

कर जाए गी...अललाह मेरे,पाक मुहबबत की तडप ही दो दिलो को जोड जाए गी......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...