Thursday 21 April 2016

रफतारे-जिॅदगी ने कहा..जरा हौले से चलो--चाॅद निकलने को है मेरा दीदार तो करो--

दीए जलते है कभी,फिर इक नई रौशनी के लिए--यादो को जगाते है तेरी पनाह मे जीने

के लिए--मासूम खवाहिशे पाॅव रखती है जमीॅ पे..तुझ मे समानेे के लिए--थम थम के

बरसो बारिश की बूॅदो..कि हमराज आया है मेरा, दिल मे मेरे उतरने के लिए-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...