रफतारे-जिॅदगी ने कहा..जरा हौले से चलो--चाॅद निकलने को है मेरा दीदार तो करो--
दीए जलते है कभी,फिर इक नई रौशनी के लिए--यादो को जगाते है तेरी पनाह मे जीने
के लिए--मासूम खवाहिशे पाॅव रखती है जमीॅ पे..तुझ मे समानेे के लिए--थम थम के
बरसो बारिश की बूॅदो..कि हमराज आया है मेरा, दिल मे मेरे उतरने के लिए-----
दीए जलते है कभी,फिर इक नई रौशनी के लिए--यादो को जगाते है तेरी पनाह मे जीने
के लिए--मासूम खवाहिशे पाॅव रखती है जमीॅ पे..तुझ मे समानेे के लिए--थम थम के
बरसो बारिश की बूॅदो..कि हमराज आया है मेरा, दिल मे मेरे उतरने के लिए-----