इक परछाई की तरह कयू साथ है मेेेरे..बरसो हुए तुझे रूखसत हुए,फिर भी खवाबो मे
कयू है साथ मेरे..उलझनो ने जब जब बेबस किया है मुझ को..बस अॅजान सा साया बन
कर कयू सॅभाला है मुझ को..खुद को जब भी तनहाॅ सोचा है हम ने..तेरी बाहो के घेरे नेे
मजबूती से थामा है मुझ को..तेरे कदमो की आहट ने,नीॅद की आगोश मे सुला दिया है
मुझ को....
कयू है साथ मेरे..उलझनो ने जब जब बेबस किया है मुझ को..बस अॅजान सा साया बन
कर कयू सॅभाला है मुझ को..खुद को जब भी तनहाॅ सोचा है हम ने..तेरी बाहो के घेरे नेे
मजबूती से थामा है मुझ को..तेरे कदमो की आहट ने,नीॅद की आगोश मे सुला दिया है
मुझ को....