Monday, 18 April 2016

दरद बहुत है राहे-उलफत मे...बिखरे है अलफाज हजारो,तूफाने-शिरकत मे...ढूॅढ रहे है

खुशियाॅ भटके हुए हमसफर की तरह...तलाश तो आज भी जारी है वो पहले पयार की

तरह...मुददत बाद भी वो जखम ताजा है किसी बगीचे-गुलजाऱ की तरह...तनहाई तो

वही कायम है..अशक आज भी बहते है तूफानी बारिश की तरह.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...