Monday 4 April 2016

अॅॅधेरो से अब कयू डरे कि अॅधेरा ही तो है जीवन मेरा--तबाहियो से कयू बिखरे कि तबाह

तो कब से हो चुके--तेरी आगोश मे बहाने आॅसू अब नही आए गे फिर..कि उस आगोश

को मुददत पहलेे ही छोड चुके है हम--हर सहर लाती है सुबह नई..फिर तेरी बरबादी सेे

हुई यह जिॅदगी अब कयू ना जिए हम..कयू ना जिए हम--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...