Thursday 7 April 2016

कहने को तुम नही मेरे,पर दिल के अरमान हो..रातो को जागते है तेरे लिए,बेशक तुम

इस से बेखबर..बेपरवाहे-जान हो--सजते है जब,सॅवरते है हम..आईने मे खुद को नही..

बस तुझी को निहारते है हम--कलाईयो मे है चूडिया..पर खनकाने के लिए ढूॅढते है बस

तेरे ही हाथ--तुझे इक नजऱ देखने के लिए..कभी तेरे आगे तो कभी पीछे पीछे चलते है

हम----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...