बॅदिशेे तो नही है लेकिन..बस तेरी ही मुहबबत मे गुुम है...बिखरे है हजारो अफसाने इन
फिजाओ मे..पर हम तो उनही बातो मे गुम है...जमाना दे रहा है सदाए हर मोड से बाहर
आने के लिए..हम तो मगर तनहाई की उनही रातो मे गुम है...लबो को सी चुके है इतना
कि जुबाॅ खुलने से पहले राख होने मे गुम है...
फिजाओ मे..पर हम तो उनही बातो मे गुम है...जमाना दे रहा है सदाए हर मोड से बाहर
आने के लिए..हम तो मगर तनहाई की उनही रातो मे गुम है...लबो को सी चुके है इतना
कि जुबाॅ खुलने से पहले राख होने मे गुम है...