Wednesday 6 April 2016

फासले बढा दिए तुम ने,पर दूरिया कम नही की हम ने--दामन बेशक बचा लिया तुुम ने

,आॅचल की यह हवा फिर भी देते रहे तुम को--मॅजर वो खुशी के भले छुपा लो हम से,

आॅखो के यह छलकते जाम हर बार छलकाते रहे तुम पे--बेवफाई की तमाम रसमे

ताउम् निभा लो जितनी,वफा की उममीदो पे खुद को खरा हर बार उतार दिया हम ने--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...