Saturday 29 May 2021

 कुछ कही तो कुछ अनकही बातें...

कुछ मीठी तो कुछ खट्टी बातें...

पलकों का झुक जाना तो कभी पलटवार कर देना...

मुस्कुरा देना तो कभी मुस्कान दबा लेना....

कभी अल्हड़पन तो कभी यू ही बड़प्पन दिखा देना...

कभी रौशनी बन जाना तो कभी अंधेरो मे ग़ुम हो जाना....

कभी इक पहेली तो कभी खुली किताब हो जाना...

तौबा तौबा,इतना इतराना तो कभी हुस्न को भुला देना...

दुनिया दे तवज्जो तो भी बेपरवाह हो जाना...

खिलखिला के जो हंस दे तो नूर चाँद तक का खाक हो जाना...

फरिश्ता भी नहीं,ज़न्नत की हूर भी तो नहीं...

 बहती है कभी नदिया की धारा की तरह,कभी हो जाए शांत समंदर के रुके नीर के जैसे...

खुशबू के ढेरे साथ लिए,हर किसी को जीवन का अहसास दिए....

एक पहेली भी है तो कभी एक सहेली भी है......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...