साथ हमेशा रहने के लिए,कौन इस दुनियाँ मे अब तक आया है...दूर तक साथ देने का वादा कर के भी,
कौन हमेशा साथ चल पाया है...अकेले चलने का हौसला बना कर चल...सब को दुआ का तोहफा जितना
दे सकता है,देता चल...फिर देख,हर तकलीफ,हर परेशानी कैसे धुआँ बन उड़ जाए गी...हिम्मत टूटी तो
सब साथ होंगे तो भी यह ज़िंदगी किसी काम की ना रह जाये गी....मुस्कुराए गे तकलीफ मे तो हज़ारो
साथ खुद ही चल कर आ जाये गे...रोनी सूरत देख हमेशा,सब साथ छोड़ जाये गे...यही दस्तूर कुदरत का
भी है..जो डर गया,हार गया वो कुदरत की नियामतों से भी हार गया...