Saturday 29 May 2021

 कोई दिन ऐसा ना रहा जब इबादत या सज़दे के लिए,यह सर नहीं झुका...यह बात और है,कभी इन 


आँखों से सैलाब बहा तो कभी चुपके से अपने खुदा को,अपनी रूह का दर्द बयां कर दिया...यह नहीं 


कि उस ने हम को हमेशा दर्द ही दिया...कभी कुछ दी ख़ुशी पर आँचल के भरने से पहले ही उस ख़ुशी 


को हमी से जुदा कर दिया...सवाल उठाया बेहद अदब से और भरी आँखों से, तो उस ने हम से इतना 


कहा..'' वक़्त के हाथ मे सब की तक़दीर है..कभी दर्द है तो कभी ख़ुशी का मेला भी है..सब्र रख और 


कर इंतज़ार वक़्त का...तक़दीर का खेल कर्मो की रेखा का संगी-साथी है''...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...