साँसों को रखना है गर ज़िंदा तो खुद के हौसले को ज़िंदा रख...किसी ने दुनियाँ को छोड़ा तो तू क्यों डर
गया...यह कुदरत है दोस्तों,वो कोई भेदभाव किसी मे नहीं करती...जिस की बारी जब आई है,वो उस
को बिना किसी पक्षपात के ले जाए गी...वो तेरा अपना था,पर अब वो एक सपना भर है...अकेले आए थे,
अकेले ही जाना है...फिर अकेले जीना क्यों ना सीख ले...जो जब तक साथ है,उन को दुआ के सैलाब मे
नहला दे...जिस को जानता ही नहीं,दुआ का सैलाब उस के लिए भी बहा दे...यही तो तेरी परीक्षा है,जिस
को आज के माहौल मे निभा देने का जज्बा बना ले...