रास्ते बहुत कठिन है और अँधेरा भी है गहरा...पर अटूट विश्वास के आगे,उजाला कब रुक पाए गा...
किसी ताकत ने आज तक रोका क्या,सूरज का उगना...किस ने रोका,चाँद को ढलने से रुकना...रोनी
सूरत क्यों बनाई है...क्या तुझे कुदरत की महिमा अभी तक समझ ना आई है...इन साँसों का चलना,इन
कदमों का अभी भी ना रुकना...क्या यह तेरी कोशिश है ? शुक्राना कर उस मालिक का...जिस ने दिया
है तकलीफ को,वो इस से निज़ात देना भी जानता है... करना है तो सिर्फ हिम्मत रख ले...वक़्त का बस
इतना ही तो तकाज़ा है...