हर रोज़ इक नया सवाल पूछ रही है यह ज़िंदगी...जिस सवाल का जवाब दे चुके है,उसी से जुड़े और भी
कितने सवाल पूछ रही है यह ज़िंदगी...क्यों हमारा मनोबल गिराने पे तुली है तू अरे ज़िंदगी...ईश्वर ने भरा
है ऐसी ताकत से कि उस के आगे तू कोई और सवाल दोहरा ना सके गी ऐ ज़िंदगी...इंसान कमजोर तो
तभी होता है जब वो खुद को हराने की हार स्वीकार कर बैठे...मुस्कुरा ज़िंदगी संग हमारे कि ज़िद तो
हमारी भी है कि आखिरी सांस तक जीते गे...आ ना,दोस्ती का रिश्ता रख हम से...फिर ना कहना,सवाल
क्या पूछे तुझ से...मुस्कुरा संग संग हमारे.............