यह कमाल तो तेरी परवरिश का है माँ,जो ज़िंदगी की हर जंग को बेखौफ लड़ते आए है...कितनी गाज
गिरती रही खुद के दिल के आशियाने पे,पर मज़ाल है जो कभी थक जाए...''साथ की उम्मीद मत रखना
लाडो कि कदम तेरे कमजोर पड़ जाए गे..चोट लगे तो खुद ही संभल जाना,तरस लेना तेरे खून मे नहीं
डाला मैंने''...माँ के शब्द और पिता की मजबूती ने किसी भी हालात मे डरने नहीं दिया...जो डर गया
वो जंग ज़िंदगी की कब जीत पाता है...हर दिन तो तेरा ही है माँ..बस पन्नों पे लिख कर तेरा नाम,इस
जहाँ को माँ के संस्कारो को समझाया है...मजबूत मुझे इतना कर दिया कि अब किसी भी अँधेरे से
डर लगता नहीं...माँ तेरी परवरिश का क़र्ज़ इस रूह से उतरता ही नहीं....