Friday 6 October 2017

आ...तेरे इश्क मे डूब जाए,तेरी इन आँखों का सहारा लिए....मुद्दत हुई इस दिल को, तुझे आवारगी से

पुकारे हुए...ओह यह पलके है या बिछावन है मेरे दीदार का...कुछ तो बोल दीजिये हज़ूर कि दिन यह

कभी फिर ना आए गा,मुखातिब तो हो पर मेरी किस्मत का सितारा बुलंदी पे कब आए गा....दिल तो

शायद कभी खामोश हो जाए गा,पर धड़कने...वल्लाह.... फिर भी धड़कती रहे गी किसी और जिस्म का

सहारा लिए....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...