Wednesday 4 October 2017

माँ ....  तुझे रुखसत हुए ज़माना बीत गया....कुछ यादो के साथ तेरा जीवन मुझ से दूर हो गया....

आज का दिन तेरा दुनिया से चले जाना,दिल को दर्द तकलीफ देता है.....पर तेरा एहसास,तेरी मौजूदगी

मेरे आस पास आज भी नज़र आता है....कोई नहीं,कोई भी नहीं इस एहसास को महसूस कर पाए गा...

दुनिया बेशक मुझे दीवाना समझ ले,पर तेरे घर मे तेरी ही आहटों का पैगाम मुझे कुछ कहने करने का

हुकम दे जाता है...वादा है माँ तुम से,तेरा हर हुकम सर आँखों पे...तेरे चरणों मे मेरा नमन...आज भी

मेरी साँसों पे तेरा ही पहरा है माँ....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...