फूलो की वादियों मे जो धरा आज पाँव हम ने,ज़िन्दगी के खुशनुमा होने का एहसास ताज़ा हो गया---
गुजरे जब महकती खुशबू के पैगाम से,खुद के खूबसूरत होने का एहसास हो गया----वो कहते है कि
निकला ना करो सर्द मौसम मे,यह वादिया कभी कभी बहक भी जाती है----छू ले गी मेरे महबूब को
और इलज़ाम किसी के नाम कर बैठे गी----हम तो यह सुन कर भी मदहोश है,कि हमारे कदमो की
चाप भर से उन्हें हमारी फ़िक्र का एहसास तो हो गया----
गुजरे जब महकती खुशबू के पैगाम से,खुद के खूबसूरत होने का एहसास हो गया----वो कहते है कि
निकला ना करो सर्द मौसम मे,यह वादिया कभी कभी बहक भी जाती है----छू ले गी मेरे महबूब को
और इलज़ाम किसी के नाम कर बैठे गी----हम तो यह सुन कर भी मदहोश है,कि हमारे कदमो की
चाप भर से उन्हें हमारी फ़िक्र का एहसास तो हो गया----