Friday 20 October 2017

फूलो की वादियों मे जो धरा आज पाँव हम ने,ज़िन्दगी के खुशनुमा होने का एहसास ताज़ा हो गया---

गुजरे जब महकती खुशबू के पैगाम से,खुद के खूबसूरत होने का एहसास हो गया----वो कहते है कि

निकला ना करो सर्द मौसम मे,यह वादिया कभी कभी बहक भी जाती है----छू ले गी मेरे महबूब को

और इलज़ाम किसी के नाम कर बैठे गी----हम तो यह सुन कर भी मदहोश है,कि हमारे कदमो की

चाप भर से उन्हें हमारी फ़िक्र का एहसास तो हो गया---- 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...