खुदा तो किसी इंसा मे फर्क नहीं करता....मुकम्मल बनाता है सभी को,इबादत का हक़ भी सब को देता है --यह तो इंसा है जो खुद को खुदा से जय्दा उम्दा मान लेता है....गुनाह की आड़ मे खुद को बेकसूर कहता है...ओह ...परवरदिगार मेरे .... रहम कर अपने इन बन्दों पे,दौलत और हवस की आग मे यह भूल जाता है कि आखिर जाना तो एक दिन तेरे ही पास है...दौलत के ढेर पे बैठ कर खुद को शहंशाह मानने लगता है...यहह अल्लाह...ना यहाँ कोई दोस्त है ना अपना कोई साथी है...तेरी दुनिया मे सिर्फ और सिर्फ धोखा है.....
Saturday, 14 October 2017
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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सादगी पे हमारी कोई फिदा हो गया--आॅखो की गहराई पे हमारी,वो कहाानिया ही लिख गया--वजूद को हमारे जाने बिना,हमारे वजूद से वो जुडता ही गया--जिन...
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ना जुबाँ ही खुली,ना इशारा आँखों ने दिया..बात बनने के लिए साथ तेरी वफ़ा ने दिया....य़ू तो बिखरे है ज़ज्बात हज़ारो सीने मे मेरे,लिखते है लफ़्ज़ो...
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लाज शर्म के बंधनो से दूर,तेरी ही दुनिया मे कदम रखने चले आए है..पाँव की जंजीरो को तोड़,लोग क्या कहे गे-इस सोच से भी बहुत दूर,तुझ से मिलने च...