तेरी ही बाहों में,मेरा दम निकले--यही तो ख्वाहिश थी मेरी...ना मांगी थी कभी दौलत--ना चाहिए था
कभी बड़ा सा महल...बहुत छोटी छोटी सी खुशिया थी मेरी...तुझे देखू शामे-सहर..तेरे साथ जियू उम्र
भर...तेरे कदमो मे ज़न्नत हो मेरी,तेरी बाहों मे हर रात गुजरे मेरी...दर्द की इंतहा कितनी भी हो,मेरे
होठों पे रहे मुसकुराहट की लाली वही...पर दगा तुम कर गए,मेरी बाहों मे तोड़ा दम..और मेरी ही
खवाइश तुम साथ ले गए...
कभी बड़ा सा महल...बहुत छोटी छोटी सी खुशिया थी मेरी...तुझे देखू शामे-सहर..तेरे साथ जियू उम्र
भर...तेरे कदमो मे ज़न्नत हो मेरी,तेरी बाहों मे हर रात गुजरे मेरी...दर्द की इंतहा कितनी भी हो,मेरे
होठों पे रहे मुसकुराहट की लाली वही...पर दगा तुम कर गए,मेरी बाहों मे तोड़ा दम..और मेरी ही
खवाइश तुम साथ ले गए...