शुक्रिया कहे या आप की मेहरबानियां---सज़दा करे या झुका दे सर आप के अहसानो की कदरदानियो
के लिए---दर्द की इंतेहा मे जब जब तड़पे है,आंसुओ के सैलाब मे जब भी डूबे है...वक़्त ने जब जब तोड़ा
है..मौत के शिकंजे ने हम को अपनी और खीचा है...एक मसीहा की तरह आप आए है,खुदा की रहमतो
की तरह हम को थामा है...आप के पाक इरादों पे बार बार सर झुकाते है...आप की इबादत करे या फिर
ताउम्र खुदा से आप के लिए दुआए मागते रहे....
के लिए---दर्द की इंतेहा मे जब जब तड़पे है,आंसुओ के सैलाब मे जब भी डूबे है...वक़्त ने जब जब तोड़ा
है..मौत के शिकंजे ने हम को अपनी और खीचा है...एक मसीहा की तरह आप आए है,खुदा की रहमतो
की तरह हम को थामा है...आप के पाक इरादों पे बार बार सर झुकाते है...आप की इबादत करे या फिर
ताउम्र खुदा से आप के लिए दुआए मागते रहे....