Monday 16 January 2017

शुक्रिया कहे या आप की मेहरबानियां---सज़दा करे या झुका दे सर आप के  अहसानो की कदरदानियो  

के लिए---दर्द की इंतेहा मे जब जब तड़पे है,आंसुओ के सैलाब मे जब भी डूबे है...वक़्त ने जब जब तोड़ा

है..मौत के शिकंजे ने हम को अपनी और खीचा है...एक मसीहा की तरह आप आए है,खुदा की रहमतो

की तरह हम को थामा है...आप के पाक इरादों पे बार बार सर झुकाते है...आप की इबादत करे या फिर

ताउम्र खुदा से आप के लिए दुआए मागते रहे....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...