Monday 23 January 2017

हाँ भी नहीं,ना भी नहीं.....तकरार की कोई वजह भी नहीं..फिर भी क्यों लगता है तेरे दिल मे मेरी

जगह है भी, शायद नहीं भी...तेरी आँखों मे मुझे अक्स अपना दिखता है कभी तो कभी अजनबीपन

से भरा तेरा वज़ूद लगता है मुझे...ओस की बूंदो की तरह मेरी यह मासूम सी ख्वाइशे,कभी रूकती है

तो कभी धुप की तरह फ़ना हो जाती है...खुल के तो बता तेरी ज़िन्दगी मे मेरी जगह है,या फिर कही

भी नहीं....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...