Sunday 15 January 2017

यह ज़िन्दगी बेवफा भी हो जाए अगर...तेरा साथ तब भी छोड़ ना पाए गे---गुजरते रहे गे साल कितने...

पर तेरी राहो को रौशन करने फिर भी आ जाए गे ---प्यार सिर्फ ज़िस्म का होता तो शायद साथ छूट

जाता..रूह से रूह को जो मिला दे..तेरी इबादत मे जो खुद को रुला दे..तेरे टूटे सपनो को जो फिर से

सजा दे ...तेरी वीरान राहो के लिए जो खुद को भुला दे..यह वो मुकम्मल  प्यार है..जो तेरी रूह के लिए

खुद की रूह को भी भुला दे----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...