Friday, 13 January 2017

हवा की सरसराहट से,क्यों डर रहे है हम..बादलों की गरगराहट से,क्यों बहक रहे है हम..भीग रहा

है यह सर्द मौसम,तो क्यों सिहर रहे है हम..ज़ुल्फे जो बिखरी है,अँधेरे से बस डर रहे है हम..तूने अभी

छुआ भी नहीं,फिर भी तेरे नाम से क्यों पिघल रहे है हम..खवाबो मे तेरे आने से ही,बस हो गए है तेरे

हम...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...