Wednesday, 11 January 2017

ना कर ग़ुस्ताख़ियां इस सर्द मौसम मे...कि गरम लावे क़ी तरह पिघल  ही जाए गे....ना छूना इन घनेरी

जुल्फों को,अंधेरे मे कदम तेरे बहक जाए गे...यू शरारत से ना देख मेरी सूरत को,इस नूरानी चेहरे पे

तेरी मुहब्बत के फ़साने लिख दिए जाए गे...मदहोश कदमो से जाए गे जिधर भी,पायल क़ी खनक से

लोग तेरे नाम को मेरे नाम से जोड़ते ही जाए गे.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...