सुबह रौशन होने के लिए,रात के ढलने का इंतज़ार करती है--खिले खिले मौसम को और खुशगवार
करने के लिए,सूरज से तपन लेती है---चाँद तो चाँद है,फिर भी चांदनी के प्यार पे बसर करता है--
आसमाँ तू बहुत दूर तक फैला है मगर,सितारों के बिना फीका सा लगता है---हवाएं जब जब सर्द होती
है,सूरज के साथ के लिए तन्हा होती है---फूल खिलते है मगर,भवरें के लिए फिर भी बैचैन होते है---
करने के लिए,सूरज से तपन लेती है---चाँद तो चाँद है,फिर भी चांदनी के प्यार पे बसर करता है--
आसमाँ तू बहुत दूर तक फैला है मगर,सितारों के बिना फीका सा लगता है---हवाएं जब जब सर्द होती
है,सूरज के साथ के लिए तन्हा होती है---फूल खिलते है मगर,भवरें के लिए फिर भी बैचैन होते है---