Monday 26 December 2016

तेरी मासूम हँसी है या बहता हुआ झरना--लोग कहते है तेरी हँसी से सुबह होती है,तू जो खोले यह आंखे

तो रौशन यह ज़मी होती है---बंद कर ले जो यह पलके,शाम तन्हा होती है---गेसुओं को जो खोले,रात पूरे

शबाब पे हो जाती है---खुल के जो मेरे दिल मे समा जाये,मुहब्बत परवान की सीमा से  परे होती है---अब

यू अठखेलिया ना कर मेरी शोख अदाओ से, कि ज़िन्दगी बार बार तेरी ही बाहो मे फ़ना हो जाती है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...