Monday 5 December 2016

न टूट के चाह मुझे किसी फ़रिश्ते की तरह... ना लुटा प्यार इतना मुझ पे किसी मसीहा की तरह...मै

खुद को तेरी पनाहो मे महफूज़ पाती हूं...हर गम को तेरी बाहो मे आ कर भूल जाती हूं...ज़माना क्या

कहता है,उन की बातो को अब यह दिल ना समझता है...खुशबू जो बिखेरी है तेरे इश्क ने,मेरे हुस्न के

आँचल मे...बहकने के लिए यह वजह काफी है,बस लुटा दे प्यार अपना इसी फ़रिश्ते की तरह....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...