Monday 12 December 2016

कहने को हमराज़ नहीं मेरे..पर दिल का हर राज़ है पास तेरे....बेवफा है यह दुनिया लेकिन,पर तेरी वफ़ा

का नायाब खज़ाना है पास मेरे....लहू का हर रंग जताता है,मुहब्बत की हर दौलत को....तू पास रहे या

दूर मेरे,फर्क हदो का सिर्फ है शायद....ज़माना क्या कहता है अब मुझ को,उस दौर का नाम भी याद नहीं

मुझ को...आज नहीं तो कल लेकिन,चलना है तुझे साथ मेरे और मुझे साथ तेरे......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...