Sunday 4 December 2016

टुकड़ो का हिसाब ना कर..बस बेहिसाब हो कर चले आओ----हर मन्नत,हर दुआ,हर पहलु से बंधे

मेरे पास चले आओ---रात है गहरी,सितारों की चमक से वाकिफ है..चाँद को ढूंढने के लिए,यह

चांदनी भी आज घायल है---बेवफा ना कह मुझ को,वफ़ा के नाम से खुद को भिगोया है---तेरी ही

इंतज़ार मे यह दिल ज़ार ज़ार रोया है---पलकों पे बिछा है,शर्म का शामियाना...बस ज़िद ना करो

मेरे पास चले आओ---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...