खुल रहे है मन के बॅधन धीरे धीरे--यकीॅ कर रहे है तुम पे धीरे धीरे-----इस दुनियाॅ मे
कोई अपना ही ना मिला--सो दूर हो गए सब से धीरे धीरे-----तेरी शराफत के हम कायल
हुए--तेरी मुहबबत पे हम फिदा हुए---पर अब तुमहे जान गए है धीरेे धीरे----जिनदगी
भर के लिए खुदा से माॅॅग ले गे तुमहे--वो भी धीरे ----धीरे------------
कोई अपना ही ना मिला--सो दूर हो गए सब से धीरे धीरे-----तेरी शराफत के हम कायल
हुए--तेरी मुहबबत पे हम फिदा हुए---पर अब तुमहे जान गए है धीरेे धीरे----जिनदगी
भर के लिए खुदा से माॅॅग ले गे तुमहे--वो भी धीरे ----धीरे------------