Thursday, 12 February 2015

दबे पाॅव जो मिलने आए तुम से,यह पायल बज उठी...खुली आॅखो से जो देखा चेहरा

तेरा,मेरे चेहरे की ऱॅगत गुलाबी हो गई.....तेरी नजरो ने जो छुआ दामन मेरा,हजारो फूल

फिजाओ मे बिखर गए...यह पयार है या मेरा कोई खवाब,चूडियो की खनक मे तुम

बसते रहे कभी सुबह तो कभी रात.......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...