दौलत दी शोहरत भी दी..ऐशो-आराम की महकती बगिया भी दी...हम जहाॅ जहाॅ कदम
रखते रहे,फूलो की बरसात भी तुम करते रहे....यकीकन-- दुनियाॅ की नजऱ मे यह
तुमहारा पयार रहा....पर-मेरे वजूद से जुदा रही राहे तेरी...हमे ना वो पयार मिला,जो
खरे सोने सा मुकममल होता...............
रखते रहे,फूलो की बरसात भी तुम करते रहे....यकीकन-- दुनियाॅ की नजऱ मे यह
तुमहारा पयार रहा....पर-मेरे वजूद से जुदा रही राहे तेरी...हमे ना वो पयार मिला,जो
खरे सोने सा मुकममल होता...............