Sunday 15 February 2015

दौलत दी शोहरत भी दी..ऐशो-आराम की महकती बगिया भी दी...हम जहाॅ जहाॅ कदम

रखते रहे,फूलो की बरसात भी तुम करते रहे....यकीकन-- दुनियाॅ की नजऱ मे यह

तुमहारा पयार रहा....पर-मेरे वजूद से जुदा रही राहे तेरी...हमे ना वो पयार मिला,जो

खरे सोने सा मुकममल होता...............

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...