धीरे धीरे--ऱफता ऱफता--जिनदगी मे सब कुछ खोते चले गए---कभी अपनो के तो कभी
बेगानो के इलजामो से खुद को घिरा पाते रहे--बेबसी मे बस--तुमहे को याद करते चले
गए--यह दुनियाॅ तेरे बिना मेरे किसी काम की नही--इनतजाऱ है तेरी उस आहट का----
कि कब कहो गे मुझे जरूरत है तुमहारी--मेरी दुनियाॅ मे बस चले आओ------------------
बेगानो के इलजामो से खुद को घिरा पाते रहे--बेबसी मे बस--तुमहे को याद करते चले
गए--यह दुनियाॅ तेरे बिना मेरे किसी काम की नही--इनतजाऱ है तेरी उस आहट का----
कि कब कहो गे मुझे जरूरत है तुमहारी--मेरी दुनियाॅ मे बस चले आओ------------------