Monday 2 February 2015

आप जो मिले लगा जैसे, मौसम बहारो का आ गया...हम सजे सॅवरे ऐसे, जैसे खवाबो

के पूरा होने का दिन आ गया....पायल जो पहनी पैरो मे..थिरकने का मन जैसे हो गया..

आप ने जो छू लिया हम को......लगा सकून से..आप की बाहो मे सिमटने का जीवन

आ गया...........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...