Saturday, 21 February 2015

हर आहट पे ऐसा कयो लगता है कि तुम आए हो...हर दरवाजे,हर खिडकी को खोला कि

तुम आए हो....बाहर नजाऱो मेे देखा,वादियो मे पुुकारा...लगा कि शायद तुम वहाॅ आए

हो...मायूस हो कर घर लौट आए,आॅखे जो मूॅदी तो पाया..खयालो मे मेरे पास आए हो...

यकीॅ हो चला है अब इतना,कि आज आए हो खयालो मे..........तो कल हमे मिलने भी

चले आओ गे................

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...