Wednesday 18 February 2015

एक इशारा जिनदगी ने ऐसा दिया,कि हम मुसकुरा दिए...जिन रासतो से गुजरे थे कभी

तनहाॅ हो कर,उनही रासतो ने आज फूल बिछा दिए... खामोशी की जुबाॅ जो ना समझे

 कभी वो खुद ही सलामे-इशक बन के आ गए....आॅखो ने अशक बहाए जितने,महबूब

की आगोश मे आ कर बहार बन के खिल गए..........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...