तारीख मुकर्रर नहीं करते कि खुद से खफा हो जाए गे---दिन तो गुजर जाए गा,पर रातो को जागना भारी
हो जाए गा---तेरी बेबाक अदा..उफ़ यह बोलती सी नज़र जुदा..कहते है ए सागर थाम ज़रा अपने सैलाब
की जगह----यह आंखे जो कहर ढाह जाए गी,तेरी गहराई को भी मात दे जाए गी---मांग ना मुझे,मुझ से
इतना कि तारीख मुकर्रर करने के लिए,खुद को तेरी हमनशीं करार कर जाए गे---
हो जाए गा---तेरी बेबाक अदा..उफ़ यह बोलती सी नज़र जुदा..कहते है ए सागर थाम ज़रा अपने सैलाब
की जगह----यह आंखे जो कहर ढाह जाए गी,तेरी गहराई को भी मात दे जाए गी---मांग ना मुझे,मुझ से
इतना कि तारीख मुकर्रर करने के लिए,खुद को तेरी हमनशीं करार कर जाए गे---