Wednesday, 16 August 2017

खवाबो को तपिश देने के लिए,तेरा ख्याल ही काफी है....वफ़ा की राह पे चलने के लिए,तेरा नाम ही

काफी है....फासले तो रहे गे ज़िन्दगी भर,किसी मोड़ पे मिल सके यह सोचना ही काफी है....मुखातिब

तो हू तेरी बातो से,गुजरे हर लम्हा तेरे साथ यह गुजारिश करना अब बेमानी है....समंदर की लहरों मे

उतर जाए,इस से बेहतर  है किनारो से गुफ्तगू का नाता जोड़ लिया जाए...यही काफी है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...