Tuesday 8 August 2017

तुझे दिए वादे को निभाने के लिए ....आज भी उतना ही सवरते है जितना मुझे सवारने की ज़िद तेरी

होती थी---हर लम्हा लगू तेरी नवेली सी दुल्हन,नूरानी चेहरे पे ना देखू कही भी थोड़ी सी शिकन --- उस

बात का मान रखने के लिए उसी नूर को बचा रखा है आज भी मैंने---ज़न्नत से कभी जो देखे तू मुझे

तेरी रूह को सकूँ मिले,इस बात का ख्याल रखा है आज भी मैंने---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...