बरसा तो बरसा आज इतना बादल कि तन मन को भिगो गया....गेसुओं को जो खोला,क्यों तेरा ईमान
डोल गया...बारिश की बूंदे देखी जो हमारे चेहरे पर,क्यों गुस्ताखियाँ तेरी नज़रो ने कर डाली....ना कर
शरारत इस मौसम मे कि अफसाना कोई बन जाए गा....लोग बदनाम करे गे तेरे मेरे नाम को,मुहब्बत
को कौन समझ पाए गा....कहर ढह रहा है खामोश सा यह समां,पलके जो झुकाई तेरा वज़ूद मेरे वज़ूद मे
समा गया.....
डोल गया...बारिश की बूंदे देखी जो हमारे चेहरे पर,क्यों गुस्ताखियाँ तेरी नज़रो ने कर डाली....ना कर
शरारत इस मौसम मे कि अफसाना कोई बन जाए गा....लोग बदनाम करे गे तेरे मेरे नाम को,मुहब्बत
को कौन समझ पाए गा....कहर ढह रहा है खामोश सा यह समां,पलके जो झुकाई तेरा वज़ूद मेरे वज़ूद मे
समा गया.....