Saturday 19 August 2017

तेरे दर से जो निकले,याद आया अपना सब कुछ तो तेरे पास छोड़ आए है.....ज़हाँ का सामना कैसे कर

पाए गे कि अपनी ज़िन्दगी तो तेरे पास गिरवी रख आए है....खुद ही खुद से बेखबर है,अपनी साँसों का

हिसाब तेरे खाते मे जोड़ आए है....तेज़ कदमो से कोशिश की जो चलने की,पायल की छन छन तो तेरी

चौखट पे रख के आए है...सोचते है अब क्या है जो पास है मेरे,यह जिस्म.ओ.जान अब पूरी तरह तेरे

हवाले करने फिर से चले आए है....




दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...