दोस्तों....मेरी शायरी के हर रूप को पसंद करने का शुक्रिया....दर्द मे डूबी हुई,प्यार के दरिया मे लिपटी या फिर इबादत और पाक मुहब्बत के पन्नो को खोलती.....दोस्तों...मेरी शायरी किसी व्यकित विशेष के लिए नहीं होती...यह सिर्फ शायर की कल्पना के अनेको रूप को दर्शाती है....आप सभी का आभार ... शुक्रिया....शुभकामनाएं.....
Friday, 18 August 2017
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
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आहटे कभी झूट बोला नहीं करती,वो तो अक्सर रूह को आवाज़ दिया करती है...मन्नतो की गली से निकल कर,हकीकत को इक नया नाम दिया करती है...बरकत देती ...
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मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...