Sunday 6 August 2017

वज़ूद मे तेरे आज भी समाए है...तुझे खबर भी नहीं कि तेरे आशियाने मे,तेरे ही इंतज़ार मे पलके

बिछाए तैयार बैठे है....वही रूप,वही रंगत,वही मुस्कान कायम है...तूने लिया जो वादा कभी,निभाने

को आज भी तैयार है....इंतज़ार बेशक लम्बा सही,सदियों से जय्दा क्या होगा....जिस रंग मे  तूने चाहा

उसी रंग मे बस ढल गए...बहुत बहुत दूर तेरे साथ चलने के लिए,हम आज भी तैयार है.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...