Tuesday 8 August 2017

हवाओ को बहना ही है,समंदर को यूँ ही लहरों से लिपटना ही है----हमेशा की तरह यह चाँद,यह सूरज

निकलते  छिपते भी  रहे गे----कभी भूले से जो तेरा नाम कोई ले दे गा,बरसे गी यह आंखे और दिल रो

दे गा---साल दर साल जीते रहे इस इंतज़ार मे कि किस दिन तेरी रूह बुलाए गी अपने ज़हान मे मुझे

किस्मत की लकीरो मे साथ नहीं रहा फिर भी ज़िंदा है बस यही सोच कर,कि ताउम्र जीने के लिए यहाँ

कोई आता नहीं,तू ना भी बुलाए फिर भी खुदा का फरमान जारी तो होगा कभी----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...