जान कर हमे क्या करो गे----दिल ही टूटे गा और हमे मजबूर सोचो गे----ज़िन्दगी कहाँ रूकती है सज़ाए
देने से,हर मोड़ पे दबोच ही लेती है----रेत के महल बनते है और अक्सर टूट जाया करते है,नम आँखों से
बिखरते देखा करते है----मुस्कुराहट आज भी दुनिया का दिल जीत लेती है,आँखों की शोख़िया दिल पे
बिजलियाँ आज भी गिरा जाती है---वल्लाह,यह ज़िन्दगी आदत से अपनी ना बाज़ आती है,और हम है
कि इस के नाज़ उठाते नहीं बस शिद्दत से मात देते रहते है-----
देने से,हर मोड़ पे दबोच ही लेती है----रेत के महल बनते है और अक्सर टूट जाया करते है,नम आँखों से
बिखरते देखा करते है----मुस्कुराहट आज भी दुनिया का दिल जीत लेती है,आँखों की शोख़िया दिल पे
बिजलियाँ आज भी गिरा जाती है---वल्लाह,यह ज़िन्दगी आदत से अपनी ना बाज़ आती है,और हम है
कि इस के नाज़ उठाते नहीं बस शिद्दत से मात देते रहते है-----