कुछ तो बोलिये मेहरबाँ मेरे,राज़ दिल के खोल दीजिये---क्यों खामोश है इतने,ज़रा ज़ुबाँ को गुफ़तगू तो
करने दीजिये----गुजर जाता है वक़्त अक्सर यूँ ही,खामोशियो मे रहते रहते---दिल जुदा हो जाते है बस
अहसासों को दबाते दबाते----नाम तुम ना ले सके,हम पर्दा-नशी क्यों रह गए---मंज़िले हो जाए गी अब
जुदा,सैलाब रुक ना पाए गे---कर दीजिये ऐलान अब प्यार का,रिश्ते को खास नाम अब दे दीजिये---
करने दीजिये----गुजर जाता है वक़्त अक्सर यूँ ही,खामोशियो मे रहते रहते---दिल जुदा हो जाते है बस
अहसासों को दबाते दबाते----नाम तुम ना ले सके,हम पर्दा-नशी क्यों रह गए---मंज़िले हो जाए गी अब
जुदा,सैलाब रुक ना पाए गे---कर दीजिये ऐलान अब प्यार का,रिश्ते को खास नाम अब दे दीजिये---