Saturday 1 July 2017

जीवन के हर मोड़ पे,उम्र के हर दौर मे...माँ..तुम साथ थी मेरे,तेरे हर अहसास से साँसे चलती  रही मेरी

तुम ने जो चाहा,मैंने दिया तुम को...पर तेरा साथ फिर भी ना मिल सका मुझ को...जननी नहीं तुम मेरी

पर ख़िताब तो माँ का मैंने हमेशा दिया तुम को....रोई बेतहाशा जब जब रातो मे,क्यों तेरा अहसास सर

पे महसूस किया मैंने....कोई नहीं,कोई भी नहीं समझे गा तेरे एहसास की हकीकत को...पर माँ,मेरे लिए

तो है तेरी दुआओ का आँचल हमेशा से  भरा....नमन है तेरे प्यार को,नमन तेरे एहसास को....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...